गत दिनों फेसबुक और Whatsapp पर कुछ पोस्ट देखने को मिल रहे हैं जिसमे नाकोडा जैन तीर्थ में लगी हुई चन्दन केसर घीसने वाली मशीन के उपयोग के बारे प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जहाँ एक और हम सभी संथारा प्रथा पर बेन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं वही इस मुद्दे ने सच में हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है, केसर पूजा का विधान तो ऐसा है की हमें खुद अपने हाथों से चन्दन घीस कर प्रभु जी की पूजा के लिए लेना चाहिए पर वस्त्तुस्थिति काफी भिन्न है, आज के व्यस्तम समय में हम मंदिर के पुजारियों के द्वारा घिसी गयी केसर से ही प्रभु जी की पूजा करते हैं लगभग सभी जगह ऐसा ही विधान हो चला है, तो फिर मशीन का विरोध क्यों ? अब आप विचार करिए तीर्थो में पर्व तिथियों पर बहुत ही अधिक संख्या में यात्री लोग आते हैं तो व्यावहारिकता में उन सभी का पत्थर पर केसर घीस कर पूजा करना लगभग असंभव है | जरा विचार करिए अगर कोई दूसरा व्यक्ति (पुजारी) आपके लिए केसर घीस रहा है तो उसके द्वारा किये गए श्रम का पाप आपको नहीं लगेगा ? ऐसे में कथन आते हैं की हम उसको उचित पारिश्रमिक देते हैं| पारिश्रमिक देने से केसर चन्दन मिल सकता हैं पर भावों का क्या ?
लेकिन मशीन के प्रयोग से असंख्य जीवों की जीव हिंसा हो रही है जिसका दोष भी हमें लग रहा है ऐसा विचार करने के साथ साथ हमें यह विचार भी आना चाहिए की केसर घीसने वाले पुजारी की मनोदशा उस समय केसी होगी जब उसने केसर घीसी ? क्या उसने सम्पूर्ण शुद्धि का ध्यान रखा ? उसके द्वारा घीसी केसर से हम पूजा करेंगे तो भी तो दोष लगता है तो फिर एक ही तरीका है जिससे हम दोषों के बच सकते हैं और वो है खुद के हाथो से ही चन्दन घिसना !
उदाहरण के लिए पूनम को नाकोड़ा तीर्थ में पूजा करने वालों की लम्बी कतार आम बात है अब सोचिये इतने लोगो के लिए केसर घीसने के लिए कितने पुजारी श्रम करेंगे ? तो फिर स्व कल्याण कैसा ? ऐसे में अगर ट्रस्ट मंडल द्वारा गुरुजनों की आज्ञा लेकर मशीन से केसर घीसी जा रही है प्राप्त जानकारी अनुसार उस मशीन को रोजाना अच्छी तरह से साफ़ किया जाता है तथा सभी प्रकार की शुद्धि का ध्यान रखते हुए ही चन्दन घीसा जाता है | फिर भी अगर आपके मन में खुद चन्दन घीसने का भाव हो तो पत्थर पर स्व घिसने की व्यवस्था भी चल रही है तो फिर मशीन पर इतना विवाद क्यों ? अगर ऐसी सोच ही है की मशीन से जीव हिंसा होती है तो फिर वाहन, एसी और गेहू पिसने की चक्की के प्रयोग में भी दोष है ?
हम यह स्पष्ट कर देना चाहते है की Jain Gyan मशीन के प्रयोग का समर्थन नहीं करता है, उक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं ! आप सभी के विचार भी सादर आमंत्रित है कृपया अवश्य Comment करें और अपने स्थानीय समाज से भी इस विषय पर चर्चा करें !