नवकार का जाप करने वाला कर्म खपाता है | नवकार का जाप सुनने वाला भी कर्म खपाता है. नवकार का जाप सुनाने वाला भी कर्म खपाता है | नवकार अर्थात कर्म खपाने की एकदम सीधी सरल प्रक्रिया | नवकार को जपने से कर्म खपते हैं, नवकार दुसरे को सुनाने से भी कर्म खपते हैं, नवकार सुनते हैं तो भी कर्म खपते हैं | पर इन सबके पीछे एक ध्यान देना जरुरी है कि नवकार मेरी आस्था है; नवकार में मेरी श्रध्दा है. नवकार के सिवाय अन्यत्र कहीं मेरी कोई आस्था, श्रध्दा नहीं | कैसी भी स्थिति आ जाए जीवन में , पर एकमात्र ध्यान, एक लक्ष्य मात्र नवकार में, फिर कुछ भी हुआ तो भी दृष्टी कहीं नहीं जाती, कहीं नहीं जाना चाहिए, केवल नवकार की ओर हमारी दृष्टी रहनी चाहिए |