बावीस वे तीर्थकर भगवान नेमिनाथ के समय हुवे हुए। श्री कृष्ण महाराजा के पुत्रों में शाम्ब और प्रध्युम्न नाम के दो पुत्र थे।नेमीनाथ भगवान की पावन वाणी सुनकर उन दोनों शाम्ब – प्रध्युम्न जी को वैराग्य जाग्रत हुआ और उन्होंने भगवान नेमिनाथ के पास दीक्षा ली व प्रभु की आज्ञा लेकर वे शत्रुंजय गिरिराज उपर तपस्या और ध्यान करने लगे। अपने सभी कर्मो से मुक्त होकर उन्होंने फागण सुदी तेरस के दिन श्री शत्रुंजय गिरिराज पर भाडवा के डुंगर उपर 8.5 करोड़ मुनि भगवंतो के साथ मुनि शाम्ब और प्रध्युम्न को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
उनकी वह मोक्ष यात्रा को स्मरण रखते हुए दर्शन करने के लिए लगभग ८४ हजार वर्षों से यह फागण फेरी की छ गाऊ यात्रा चल रही है। आज भी हजारों – लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन छ गाऊ यात्रा करके अपनी कर्मो की निर्जरा करते है। यदि आप फागण सूद तेरस के दिन पलिताना नहीं जा सको तो उस दिन घर पे ही गिरिराज की भाव यात्रा करे ।
फागण सुदी तेरस – 10 मार्च 2017
छ गाऊ यात्रा करने योग्य बाते
- सभी पुरुषो को सफ़ेद वस्त्र (कुर्ता पजामा) पहने ।
- महिलाएं तीर्थ की मर्यादा को ध्यान में रख कर वस्त्र पहने। (कृपया जीन्स टीशर्ट केपरी ना पहने)
- हो सके तो यात्रा 5:30 के बद ही शुरू करे।
- जरुरत न होने पर मोबाइल का उपयोग ना करे।
- स्वयंसेवकों की सहायता करे ताकि सबकी यात्रा अच्छे से हो ।
- गिरिराज पर कोई भी खाने की वास्तु न ले जाये।
क्रिया –
- सामान्य यात्रा के 5 चैत्यवंदन
- जय तलेटी
- शांतिनाथ भगवान
- रायण वृक्ष
- पुंडरिक स्वामी
- आदिनाथ भगवान
- 6 गाउ की यात्रा में
- देवकी माता के ६ पुत्र की डेरी (कृष्ण महाराज के ६ भाई)
चैत्यवंदन करना होता है । - उलखा जल – जहां दादा का पक्षाल आता है,
आदिनाथ भगवान पगले – चैत्यवंदन करना होता है । - चंदन तलावडी – अजितशांति डैरी,
यहाँ चैत्यवंदन मे अजितशांति बोलते है
और चंदनतलावडी पर नो लोग्गस न आवे तो 36 नवकार का काउस्सग करते है । - भाडवा का डुंगर – शाम्ब प्रध्युमन डेरी,
यहां चैत्यवंदन करना होता है । - सिद्ध वड – आदिनाथ भगवान,
चैत्यवंदन करना होता है ।
- देवकी माता के ६ पुत्र की डेरी (कृष्ण महाराज के ६ भाई)
इन सभी स्थानों के दर्शन बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है सभी से निवेदन है। यात्रा करो तो पूरी विधि विधान के साथ