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फागण सूद तेरस – छ गाऊ यात्रा

बावीस वे तीर्थकर भगवान नेमिनाथ के समय हुवे हुए। श्री कृष्ण महाराजा के पुत्रों में शाम्ब और प्रध्युम्न नाम के दो पुत्र थे।नेमीनाथ भगवान की पावन वाणी सुनकर उन दोनों शाम्ब - प्रध्युम्न जी को वैराग्य जाग्रत हुआ...

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सधार्मिक भक्ति के संबंध में

जैन जीवन शैली के तत्वों में समाया एक तत्व है साधर्मिक भक्ति । एक सुश्रावक का कर्तव्य होता है सधार्मिक भक्ति करना पर किस की भक्ति करना वो भी समझाना बहुत जरुरी है । एक धर्म में आस्था...

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जैन मंत्र साधना – Power Of Mantra

जैन धर्म में मंत्र साधना व जाप का बहुत प्रबाव बताया गया है। मंत्र साधना कर विविध सिद्धि प्राप्त महाभगवंत आज भी यहाँ मौजूद है। मानसिक तकलीफ से लेकर शारीरिक तकलीफों को दूर करने के लिए बहुत से...

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रात्रिभोजन के संबंध में

रात्रिभोजन का त्याग मोक्षमार्ग के पथिक के लिए तो आवश्यक है ही, परंतु उसके आधुनिक विज्ञान – अनुसार भी अनेक लाभ हैं। जैसे कि रात्रि 9 बजे शरीर की घडी (BODY CLOCK) अनुसार पेट में रहे हुए विषमय...

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इन पापो से सभी जैनों को बचाना चाहिए।

जिस प्रवृति से दुर्गति में पड़ते जीवों को अहिंसा द्वारा बचायें उसे धर्म कहा जाता है। क्या आप जानते है आप अनजाने में भी बहुत से पाप कर रहे है उन्हें जानिए और अपने जीवन के छोटे से...

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श्री शत्रुंजय महातीर्थ की भावयात्रा

शत्रुंजय गिरिराज की महिमा मेरु समान है। हे भव्यजीवो इसे श्री शत्रुंजय महातीर्थ के जितने गुणगान किये जाएँ वे कम है। चोदह राजलोक मे ऐसा एक भी तीर्थ नहीं है जिसकी तुलना शत्रुंजय तीर्थ से कर सके। वर्तमान...

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दृष्टिकोण बदलना जरुरी

एक घटना, ससुराल से एक बहिन पीहर जा रही थी । प्रातःकाल का समय था । रियाँ-पीपाड़ की बात कहो या विजयनगर-गुलाबपुरा की । बीच में मात्र एक नदी पड़ती है । वह ग्राम के किनारे पर पहुँची...

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संयम संवेदन – Photo Gallery

संयमी स्वयं की साधना एवं सिद्धि के पथ पर क्रमश: उपरोतर गतिशील एवं प्रगतिशील होता है। प्रस्तुत "संयम संवेदन" इसी बात का लक्ष्य में पोस्ट की जा रही है। संयममय बने एवं पढ़कर सभी साधे अपना आत्मश्रेय.. यही...

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पाँच प्रकार के ज्ञानो का वर्णन व दोहे

जैन धर्म के अनुसार ज्ञान आत्मा का गुण है । आत्मा ज्ञानमय है, ज्ञानस्वरुप है । ज्ञान एवं ज्ञानी भिन्न भी माने गये हैं, अभिन्न भी माने गये हैं। यह ज्ञान मुख्यतया पाँच विभागों में बंटा हुआ है...

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जैन साधूभगवंत के पांच महाव्रत

प्राणातिपातविरमाण महाव्रत – अहिंसा मृषावादविरमाण महाव्रत – सत्य अदत्तादानविरमाण महाव्रत – अचौर्य मैथुनविरमाण महाव्रत – ब्रह्मचर्य परिग्रहविरमाण महाव्रत – अपरिग्रह   दीक्षा लेनेवाला व्यक्ति प्रतिज्ञापूर्वक कहता है की - "है अरिहंत भगवंत ! मैं मन-वचन-काया से हिंसा असत्य,...

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