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वाह पुण्यशाली, “चढ़ावा” आपने लिया ? अनुमोदना ! पर एक निवेदन भी …

XX मण एक बार, XX मण दौ बार और XX मण तीन बार .. बोलो जिन शासन देव की जय ! पुण्यों के उदय से अपने अर्जित धन का सदुपयोग आप में से कई भाग्यशाली चढ़ावा लेकर करते हैं | जैनज्ञान...

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जीवदया प्रतिपालक कुमारपाल महाराज – जानिए महान व्यक्तित्व को

जैन धर्म अनेको महान व्यक्तित्वों से भरा पड़ा है, संसार को जीव दया और अहिंसा का जो पथ जैन धर्म ने दिखाया वह सभी के लिए आदर्श है | जैन धर्म के ऐसे ही एक रत्न जीवदया प्रतिपालक...

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और वह दीपक जलता रहा – जैन कहानी

वैशाली की राज्य-परम्परा में ‘चन्द्रावतंस’ एक पराक्रमी राजा हो गया है । वह कर्मवीर ही नहीं, धर्मवीर भी था । राज्य-कार्यो में संलग्न रहते हुए भी अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा को उपवास करता, पौषधव्रत करता और कायोत्सर्ग...

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जानिए कब और कैसे होते हैं भगवान प्रसन्न ?

एक महिला संतान न होने के कारण बहुत दुखी थी | भजन, पूजन, व्रत, उपवास जिसने जो बताया, उसने बड़ी श्रद्धा से उसे पूर्ण किया | फिर भी उसकी गोद सूनी की सूनी रही | अंत में उदास...

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पापों से सावधान – देखो हम नरक में क्यों गए ?

अपने अपने कर्मो का फल सभी को भोगना ही पड़ता है चाहे वो भगवान का जीव हो या फिर भगवान का सबसे बड़ा भक्त, कर्म जब तक खप ना जाए तब तक उदय में आते रहते है और...

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आगामी चोविसी तीर्थंकर, उनके पूर्व भव एवं वर्तमान स्थिति

कालचक्र अपनी नियमित गति से चल रहा है | वर्तमान अवसर्पिणी काल के पांचवे आरे में हम है इसके बाद छठवा आरा और फिर उत्सर्पनी काल आने को है, तो जानिए उस काल उस समय मैं जम्बुद्वीप के...

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जैनों के गौरव दानवीर भामाशाह जी

जैन धर्मका शान बढाने वाले दानवीर भामाशाहजी जैन त्याग-बलिदान और दान के प्रतीक थे। भामाशाह महान व्यक्ति थे। उन्होंने महाराणा प्रताप को प्रचूर धन दान में दिया ताकि वे अकबर से युद्ध कर सकें और वे स्वयं युद्ध क्षेत्र में तलवार लेकर लड़े अपरिग्रह...

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नमन हो श्री गौतम स्वामी को

लब्धिनिधान, भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर श्री गौतमस्वामी जी पूर्व भव में मरीचि त्रिदंडी के कपिल नाम दे शिष्य थे। पूर्वभव में त्रिपृष्ठ वासुदेव के सारथि बनकर सेवा की थी। गौतमस्वामी को अभिमान के बदले संयम व...

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सुखी होना चाहते हैं ? जाने कैसे कमाएँ पुण्य ही पुण्य !

जैन धर्मं में मनुष्य जीवन को पाप पुण्य के अनुसार फल मिलते है ऐसा बताया गया है, अगर पुण्य अर्जित की तो उसके उदय से सुख और पाप किया तो उसके उदय से दुःख ही मिलता है। शास्त्रों में...

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वस्तुपाल तेजपाल की गौरव गाथा

जैन धर्म की गौरव गाथाओं की बात करे और वस्तुपाल तेजपाल की बात न हो तो वह अधूरी मानी जाती है इसे धर्मकर्ता जिनआज्ञां पलक वस्तुपाल तेजपाल दोनों भाइयो ने जैन धर्म के प्रति बहुत ही अद्भुत कार्य...

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