LATEST POST

शाश्वत तीर्थ शत्रुंजय गिरिराज पालीताणा की महिमा

अनादिकाल से अनंतकाल तक न मिटने वाला शाश्वत तीर्थ जहा का एक एक पत्थर अपनी एक विशेषता लिए बेठा है जिसके नाम स्मरण मात्र से भव भवान्तर के पाप मुक्त हो जाते

Read more

तप करने के लिए वर्ष का सबसे बड़ा दिन – मौन एकादशी

मगसर सुद एकादशी को मौन एकादशी का पर्व आता है. इस दिन तीनो 24 के तीर्थंकरों के 150 कल्याणक हुये है. इस दिन उपवास करनेवालों को 150 उपवास का फल मिलता है. इस तिथी की आराधना सुव्रत सेठ...

Read more

नवकार सबसे बड़ा कर्म नाशक

नवकार का जाप करने वाला कर्म खपाता है | नवकार का जाप सुनने वाला भी कर्म खपाता है. नवकार का जाप सुनाने वाला भी कर्म खपाता है | नवकार अर्थात कर्म खपाने की एकदम सीधी सरल प्रक्रिया |...

Read more

इस पर्युषण क्या हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे

पर्वाधिराज पर्युषण का आगमन याने प्रत्येक जेनों के मन मंदिर में आनंद की अनुभूति । छोटे – बड़े – ब्रद्ध युवक – महिलाएं – बालिकाएं सब बड़े उत्साह के पर्व के आगमन का इंतजार करते है किन्तु आत्मा...

Read more

वीतरागी परमपिता परमेश्वर प्रभु दर्शन की जैन शास्त्रीय विधि

वीतराग भगवान का दर्शन पापो का नाश करता हैं। वीतराग प्रभु को वंदन वांछित को पुरता हैं। वीतराग प्रभु की पूजा लक्ष्मी को अर्पण करती हैं। परमात्मा साक्षात् कल्पवृक्ष हैं । प्रभु दर्शन की इच्छा हुई तभी से...

Read more

जैन धर्मानुसार सुबह उठने की विधि

जैन धर्म के अनुसार सुबह सूर्य उगने में चार घडी (96 मिनट) शेष हो तब जाग जाना चाहिये। इसे ब्रह्रामुहुत कहा जाता है “श्रावक तू उठे प्रभात, चार घडी रहे पाछली रात”। अंग्रेजी कहावत “Early to bed and...

Read more

क्या तीर्थो पर चन्दन केसर घीसने वाली मशीन का उपयोग उचित है ?

गत दिनों फेसबुक और Whatsapp पर कुछ पोस्ट देखने को मिल रहे हैं जिसमे नाकोडा जैन तीर्थ में लगी हुई चन्दन केसर घीसने वाली मशीन के उपयोग के बारे प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जहाँ एक और...

Read more

जिन मंदिरजी में दर्शन एवं पूजन के समय क्या करें ?

समस्त प्रकार की शुद्धि के बाद निसिहि निसिहि बोल कर भगवान के दरबार में प्रवेश करना चाहिए ।  जहाँ तक संभव हो भगवान की अष्टप्रकारी पूजा करना चाहिए ( भगवान की केसर पूजा संबधी आवश्यक जानकारियां ) लेकिन...

Read more

पूजा के वस्त्र सम्बंधित आवश्यक जानकारियां

चातुर्मास के आगमन के साथ ही जिनालय, देरासर या कहे तो मंदिर जी में श्रावक श्राविकाओ का आगमन और उत्साह बढ़ने लगता है | चाहे प्रभुजी की अंग पूजा हो या अग्र पूजा, स्नात्र पूजा हो या भाव...

Read more

Jain Jyotish आइये जाने सामुद्रिक/हस्तरेखा शास्त्र से भविष्य देखने के नियम

मानव-शरीर के विभिन्न अंगों की बनावट के आधार पर उसके गुण-कर्म-स्वाभावादि का निरूपण करने वाली विद्या आरंभ में लक्षण शास्त्र के नाम से प्रसिद्ध थी।

Read more
Page 5 of 6 1 4 5 6

TRENDING.