जिस प्रवृति से दुर्गति में पड़ते जीवों को अहिंसा द्वारा बचायें उसे धर्म कहा जाता है। क्या आप जानते है आप अनजाने में भी बहुत से पाप कर रहे है उन्हें जानिए और अपने जीवन के छोटे से बदलाव लाकर उन पापो से बचे और दूसरो को भी बचने की प्रेरणा दे।
- रात्रि भोजन नहीं करना: पूराण में भी मार्कण्ड ऋषि ने बताया है रात में भोजन करना, मांस खाने के बराबर और पानी पीना, खून पिने के बराबर होता है। भगवान ने तो इससे भी कई गुना पाप बताया है।
- कंदमूल: कांदा (प्याज), लहसुन, आलू, गाजर, मुली, अदरक, शकरकंद, में सुई की नोक जितने भाग में अनंत जीव होते है।
- अणगल पानी: बिना छाना हुआ पानी वापरने से 7 गाँव को जलाने जितना पाप कर्मो का बंध होता है। छानने से त्रस जीव बच जाते है। एक बूंद पानी में डॉ. स्कोर्सबी ने 36450 जीव गिनकर बताये है।
- महाविगई: जैसे मांस, मदिरा, मक्खन, शहद आदि में संख्यातीत जीव होते है, इसका सेवन करन नही करना चाहिए। महाविगई मतलब महाविकृती वाले दुर्गति तक पहुँचाने वाले है। इसका त्याग करना चाहिए।
- अभक्ष्य: 22 प्रकार के अभक्ष्य का त्याग करना चाहिए, इसमे भी अनेका अनेक दोष है।