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जानिए नवकार मंत्र जप करते समय कैसे भाव रखने चाहिए ?

Pratik Chourdia by Pratik Chourdia
February 19, 2022
in जैन जानकारी
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हम लोग जो नवकार मंत्र बोलते हैं, वे किस समझ से बोलते हैं? ‘चौबीस तीर्थंकर ही अरिहंत हैं।‘ हम अगर उनको अरिहंत कहेंगे तब फिर सिद्ध किसे कहेंगे ? वे अरिहंत थे, अब तो सिद्ध हो गये हैं। तो अब अरिहंत कौन हैं? जो लोग अरिहंत को मानते हैं, वे किसे अरिहंत मानते हैं? ‘नमो अरिहंताणं’ बोलते हैं न?

ये चौबीस तीर्थंकर अरिहंत कहलाते थे मगर जब तक वे मोजुद (जीवित) थे तब तक। अब तो वे निर्वाण होकर मोक्ष में गये, इसलिए सिद्ध कहलाते हैं। अर्थात् नमो सिद्धाणं पद में आये। इन्हें अरिहंताणं नहीं कहते। जो चौबीस तीर्थंकरो को ही अरिहंत मानते हैं, उन्हें मालूम नहीं है कि वे तो सिद्ध हो गये, ऐसा गलत चलता है। इसलिए नवकार मंत्र फल नहीं देता। अरिहंत अभी सीमंधर स्वामी हैं। जो हाज़िर हैं, जीवित हैं वही अरिहंत।

जानिए वर्तमान अरिहंत तीर्थंकर भगवान सीमंधर स्वामी के बारे में 

जो तीर्थंकर हो गये वे कहते गये कि ‘अब भरत क्षेत्र में चौबीसी बंद होती है, अब तीर्थंकर नहीं होंगे। पर महाविदेह क्षेत्र में तीर्थंकर हैं, उनकी भक्ति करना! वहाँ पर वर्तमान तीर्थंकर हैं।’ पर यह तो लोगों के लक्ष्य में ही नहीं रहा और उन चौबीस को ही तीर्थंकर कहते हैं, सारे लोग! बाकी भगवान तो सब कुछ बताकर गये हैं।.

महावीर भगवान ने सब कुछ स्पष्ट किया था। महावीर भगवान जानते थे कि अब अरिहंत नहीं है। किसे भजेंगे ये लोग? इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया था कि महाविदेह क्षेत्र में बीस तीर्थंकर हैं और उनमें वरिष्ठ श्री सीमंधर स्वामी भी हैं। यह खुला किया इसलिए बाद में मान्य हुआ। मार्गदर्शन महावीर भगवान का, बाद में उसके गणधर श्री गौत्तम स्वामी, सुधर्मा स्वामी आदि ११ गणधर और उनके पट्टधरने भी प्ररुपण किया था। अरिहंत यानी वर्तमान में अस्तित्व होना चाहिए। जिनका निर्वाण हो गया हो, वे तो सिद्ध कहलाते हैं। निर्वाण के पश्चात् उन्हें अरिहंत नहीं कहते।.

‘अरिहंत को नमस्कार करो।’ इसलिए कहते हैं कि, ‘अरिहंत कहाँ पर हैं अभी।’ ‘सीमंधर स्वामी को नमस्कार कीजिए। सीमंधर स्वामी महाविदेह क्षेत्रमें हैं। वे आज अरिहंत हैं। इसलिए उनको नमस्कार कीजिए! अभी वे जीवित हैं। अरिहंत हों तब हमें फल मिलता है।’ अतः सारे ब्रह्मांड में ‘अरिहंत जहाँ भी हों, उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ’ ऐसा समझकर बोलें, तो उसका फल भी बहुत सुंदर मिलेगा।.

वर्तमान महाविदेह क्षेत्रके बीस को अरिहंत मानोगे तो तुम्हारा नवकार मंत्र फलेगा, नहीं तो नहीं फलेगा। यानी सीमंधर स्वामी की भक्ति जरूरी है, तब मंत्र फलेगा। कईं लोग इन बीस तीर्थंकरों को नहीं जानने की वजह से, या तो फिर ‘उनसे हमारा क्या लेना-देना ?’ ऐसा सोचकर इन चौबीस तीर्थंकरों (जो अपने इस भरत क्षेत्र में हो चुके हैं) को ही ‘ये अरिहंत हैं’ ऐसा मानते हैं। आज वर्तमान होने चाहिए, तभी फल प्राप्त होगा। ऐसी तो कितनी सारी गलतियाँ होने से यह नुकसान हो रहा है।

नवकार मंत्र बोलते समय साथ में सीमंधर स्वामी खयाल में रहने चाहिए, तब हमारा नवकार मंत्र शुद्ध कहलायेगा। क्योंकि वे वर्तमान तीर्थंकर हैं और ‘नमो अरिहंताणं’ उनको ही पहुँचता है…

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