श्री शत्रुंजय महातीर्थ की भावयात्रा
शत्रुंजय गिरिराज की महिमा मेरु समान है। हे भव्यजीवो इसे श्री शत्रुंजय महातीर्थ के जितने गुणगान किये जाएँ वे कम...
Read moreशत्रुंजय गिरिराज की महिमा मेरु समान है। हे भव्यजीवो इसे श्री शत्रुंजय महातीर्थ के जितने गुणगान किये जाएँ वे कम...
Read moreएक घटना, ससुराल से एक बहिन पीहर जा रही थी । प्रातःकाल का समय था । रियाँ-पीपाड़ की बात कहो...
Read moreसंयमी स्वयं की साधना एवं सिद्धि के पथ पर क्रमश: उपरोतर गतिशील एवं प्रगतिशील होता है। प्रस्तुत "संयम संवेदन" इसी...
Read moreजैन धर्म के अनुसार ज्ञान आत्मा का गुण है । आत्मा ज्ञानमय है, ज्ञानस्वरुप है । ज्ञान एवं ज्ञानी भिन्न...
Read moreप्राणातिपातविरमाण महाव्रत – अहिंसा मृषावादविरमाण महाव्रत – सत्य अदत्तादानविरमाण महाव्रत – अचौर्य मैथुनविरमाण महाव्रत – ब्रह्मचर्य परिग्रहविरमाण महाव्रत – अपरिग्रह...
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